महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए
ये दुनिया की रस्म है इसे मोहब्बत न समझ लेना
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा
जितना मैंने सिर्फ सोचा है तुम्हे
मै अक्सर गमजदा लोगो को हँसा देता हूँ
मुझसे कोई मुझसा देखा नहीं जाता
समझा दो तुम अपनी यादो को जरा
दिन रात तंग करती है कर्जदार की तरह
तेरी जुदाई और ये जुलाई
दोनों मिलकर जलाते है मुझे
लोग शोर से जाग जाते है साहब
मुझे एक इन्शान की खामोशी सोने नहीं देती
किया है प्यार यो धोखा नहीं देंगे आपको आशू का तौफा नहीं देंगे
आप दिल से रोये हमें याद करके ऐसा हम कभी मौका नहीं देंगे