तू ही बता कैसे दे दू तुझे अपना दिल
टूटे दिलो को देना रिवाज नहीं मोहब्बत का
अक्सर वही दिए हाथो को जला देते है
जिनको हम हवा से बचा रहे होते है
मेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ये दिल
जिनके चाहने वाले ज्यादा हो वो अक्सर बेदर्द हुआ करते है
सोचता था मै नहीं रह पाउगा तेरे बगैर
देखो तुमने ये भी सीखा दिया मुझको
माना की औरो के मुकाबले मैंने कुछ ज्यादा पाया नहीं
खुद ही रोता रहा मै लेकिन किसी को रुलाया नहीं
रोटी काम देख कर बेटी हसते हुए बोली
पापा आप खा लीजिये मेरा तो आज उपवास है
अब सजा दे ही चुके हो तो मेरा हाल न पूछना
अगर हम बेगुनाह निकले तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा
वक्त पर न जा वक्त तो हर जख्म की दवा है
आज तुमने हमें भुला दिया कल तुझे बह कोई भुला देगा
हमें भी आते अंदाज दिल तोड़ने के मगर हर
दिल में खुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ
तुझे हर किसी को अपना बनाने है हुनर आता है
तभी तो तेरे बदन पर रोज एक धाव नया नजर आता है
जिंदगी गुजर रही है इम्तिहानो के दौर से
एक जख्म भरता नहीं तो दूसरा तैयार मिलता है
ख़ुशी में हमको वो याद आएगा जिसको हम चाहते है
मगर गम में अक्सर वो ही याद अत है जो हमको चाहता है
उनकी मोहब्बत के अभी निशाँ बाकी है
नाम लब पर है और जान बाकी है
क्या हुआ अगर देख कर मुँह फेर लेते है
तसल्ली है की शक्ल की पहचान बाकी है
यू ही छोटी सी बात पर ताल्लुकात बिगड़ जाते है
मुद्दा होता है सही क्या है और लोग
सही कोण पर उलझ जाते है
जाने कोन सी कमी रह जाती है परवरिश में बेटो की
क्यों मेरे मुल्क में बेटिओ की लाशें अक्सर नगी मिलती है