किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं,
किसी को दिल में बसाना कोइ खता तो नहीं
गुनाह हो यह जमाने की नजर में तो क्या
जमाने वाले कोई खुदा तो नहीं
बेताब सा रहते है तेरी याद में अक्सर
रात भर नहीं सोते है तेरी याद में अक्सर
जिस्म में दर्द का बहाना बना के
हम टूट के रोते याद में अक्सर
दिल को था आपकी बेसब्री से इंताजर
पलके भी थी आपकी एक झलक को बेकरार
आपके आने से आयी है कुछ यैसी बहार
की दिल बस मांगे आपके लिए खुशिया बेसुमार
देखते ही उसको कदम मेरे लड़खड़ा जाते है
मालुम नहीं नशा उसके हस्त्र में है या आखो में