किसी मोड़ पर तेरा दीदार हो जाये, काश तुझे मुझ पर ऐतबार हो जाये
तेरी पलके झुके और इकरार जाये, काश तुझे भी मुझसे प्यार हो जाये
राज खोल देते है नाजुक से इसारे अक्सर
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है
जाने क्यों आजकल तुम्हारी कमी अखरती है बहुत
यादो के बंद कमरे में जिंदगी सिसकती है बहुत
लम्हे ये सुहाने साथ हो न हो
कल में आज ऐसी बात हो न हो
रूबरू मिलने मौक़ा मिलता नहीं है रोज
इसलिए लफ्जो से तुमको छू लिया मैंने