अनजानी लड़की लेकिन अपनी सी

आंखे नायाब होती है, हर तरफ खूबसूरत नजारा है
और हासीन वादिया इन आखों में खुद हो चुकी है
की आखें बंद कर के भी उस नज़ारे को महसूस कर सकूं
यूं कहे तो वक्त/समय बहुत महान होता है
हम दोनों को ही देख लो
खैर छोड़ो समय की बात प्रिय सखी
कहा मिली और कैसे मिली उसके पीछे भी मेरा एक छोटी
सी कहानी है जो कि मेरी ही जुबानी में आपको सुनना होगा

जैसे कि हमारे मार्ग दर्शक निशांत जैन सर को
पूरी तरह से आपने जीवन की इस यात्रा में उतरना
चाहता हूं । अब क्यों का कोई सवाल नहीं क्यों की उनको
किसी के परिचय की जरूरत नहीं।

रोज की तरह मै आज ( सखी आप से बात हुई )भी सर की
प्रोफ़ाइल पे गया तो मेरी एक आदत है पोस्ट को पढ़ना और लाईक करना और कभी कभी कॉमेंट भी करना ।

यूं समय का जादू देखिए मुझे आज कॉमेंट करने का मन किया और कॉमेंट किया भी, फिर जैसे ही थोड़ा नीचे स्क्रोल किया प्रिय सखी आप भी कॉमेंट की थी।

मै वहा कुछ ध्यान दिए बिना आपके कॉमेंट को लाईक किया और साथ में एक इनबॉक्स में प्रिय सखी मैसेज भी किया।

आपने उस मैसेज का जवाब देते हुए कुछ बातें चालू हुई
बात तो हो रही थी लेकिन ऐसा लग रहा था आप सब कुछ जानते हुए भी बस सामने वाले को परखन चाहती थी।

यूं ही कुछ दिन बातो के साथ साथ कुछ लगाव भी बढ़ रहा था
लेकिन लेकिन कुछ ज्ञान की बातें बताई जिससे जीवन में हमेशा काम आएगा

वैसे एक दिन दोपहर में बात हो रही थी हम कुछ दोस्ती का जिक्र किया तो जवाब में सखी का जवाब आया
मै तो खुश हो गया कहीं महाभारत में द्रौपदी (पांचाली, याग्यसैनी) जो कि कृष्ण की सखी थी
लेकिन सखी का जवाब आया मुझे वो सखी नहीं बनाना साखा
तो मै पूछा फिर , वो बोली दोस्त वाली सखी ही ठीक हूं।

खैर कोई नहीं, यू ही हमारी मन की चंचलता को रोकना काफी आनंद मय था मेरे लिए......

मै चाहता हूं कि यू ही बातो का सिलसिला चलता रहे
कुछ अनकहे लफ्ज़ मुझे पाता चले प्रिय सखी तुम्हारे द्वारा

अंत में एक ही बात कहना चाहता हूं
प्रिय सखी पता तो सब कुछ है तुम्हे पर जिक्र नहीं करना चाहती

kisi ka rahna bahut zaruri hota hai
but jo chala jaya use sirf yaad hi kar sakte hai

किसी का रहना बहुत जरूरी होता है
लेकिन जो चला जाय उसे सिर्फ याद ही कर सकते है

आपका अपना दोस्त कृष्णा

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