ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद ऐ दोस्त... कसम से लोग खुबसूरत बहुत है पर वफादार नहीं!

मै दीवारों को बातो में लगाए रखूंगा
तुम चुपके से निकल आना तस्वीर से अपनी
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में, 
पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है.....!!

चाहत „ में डूबने „ का हक़ „ सभी को है !
पर, दुनिया के सामने इनकार „ सभी को है !!

बेशक कोई छुपा „ ले दिल की गहराइयों में,,
परकिसी ना किसी से तो प्यार „ सभी को है !!


इस हद तक दे दिया था खुदको तुझे,
की अब मेरा कहने, मेरे पास में खुद भी नही।
वक़्त है झोंका हवा का और हम फक़त पीले पत्ते...
कौन जाने अगले दिसंबर तुम कहां और हम कहां.!!


मर्जी से ढल जाऊं हर किसी के... मुमकिन नहीं 
  एक वजूद हूं मैकोई आइना नही
करीब आओ ज़रा के तुम्हारे बिन जीना है मुश्किल,
दिल को तुमसे नही.. तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है

एक बार मोबाइल कि रौशनी पर फिसली थी...
तब से किताबों पर लौटी नहीं उँगलियाँ...!!

मैं साँवला सा लगता हूँ, तुम्हारे गोरे पन में,
मगर मेरे जज्बात बहुत खूब सूरत हैं..!!

“इत्र की महक  दामन में हो या ना हो....
जज़्बात और अल्फ़ाज़ हमेशा महकदार होने चाहिए..!!”


किरदार में मेरे भले अदाकारियां नहीं हैं....||
खुद्दारी है, गुरुर है , पर मक्कारियां नहीं हैं...||

हसरत भरी निगाहों को आराम तक नहीं,
वो यूँ बदल गये है के अब सलाम तक नहीं!

मैंन कब कहा, किमत समझे वो मेरी,
ग़र हमें बिकना ही होता तो, आज यूँ तनहा न होते...
होता है कभी कभी अफसोस तेरे बदल जाने का,,,,,,,
मगर तेरी कूछ बातों ने हमें जीना सीखा दिया,,,,,,,

बेगुनाह कोई नहीं है, सबके राज़ होते हैं...

किसी के "छुप" जाते हैं, तो किसी के "छप" जाते हैं.आ लिख. 
 दूँ तेरे बाएँ हाथकी हथेली पर कि मुझे  तुझसे प्यार है.

सुना है दिल से जुड़ी होती हैं इस हाथ की नसें...

दो लफ्ज प्यार भी क्या कमाल दिखाते है
लगते है दिल पर और चेहरे खिल जाते है.

नज़रों से ना देखो हमें..  तुम में हम छुप जायेंगे..
अपने दिल पर हाथ रखो तुम.. हम वही तुम्हें मिल जायेंगे..!

उजालो में मिल ही जायेगा कोई ना कोई,
तलाश उसकी रखो,जो अंधेरों में भी साथ दे।
औरों के लिए जीते थे तो किसी को शिकायत न थी...

थोडा सा अपने लिए क्या सोच लिया जमाने के लिए खुदगर्ज हो गए.
पतंगे अनजान रहें तो बेहतर है,
उँगलियों से कहो कि मझहब छुपा कर रखें।


हस्ती मिट जाती है आशियाँ बनाने मे,
बहुत मुस्किल होती है अपनो को समझाने मे,
एक पल मे किसी को भुला ना देना,
ज़िंदगी लग जाती है किसी को अपना बनाने मे…

खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है,
हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।

आदत बदल दूँ कैसे मैं तेरे इंतेज़ार की,
ये बात अब नही है मेरे इखतियार की.!!

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर..
कि तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं
मुझे इतना न पिला  इश्क ए जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का  आदी हो जाऊं.....


तुम्हें नसीब न हो हमसा चाहने वाला 
हमें भी तुमसा  फ़रेबी न अब मिले कोई
वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनें ,
वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें,
ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई ,
ग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनें,
कभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़ ,
अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनें,
कमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना था ,
वो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें |


मुस्कुराहट भी एक दुआ है, 
दिया किजिए, लिया किजिए...

"तु ही बता ..कैसे कह दूँ ..........
मेरा दिल तेरा तलबगार नहीं,...
एक पल को भी तो ,तेरे सिवा ......
मुझे कुछ खयाल नहीं"........

रात भर जलता रहा ये दिल उसी की याद में, 
समझ नहीं आता ‘दर्द’ प्यार करने से होता है
या ‘याद’ करने से।


सुनने का अगर दम है बेटा तो एक बात बता दूं क्या हूँ 
मैं गीदड़ की तरह झुंड में हमले को छोड़कर आ सामने से लड़ 
तेरी औक़ात बता कौन कहता है कि आपकी तस्वीर बात नहीं करती...!!!

 फीकी उदास साँझ में 
एक भीगा सा
ख़्याल तेरा...
इक सितारा मुझ से मिल कर 
रो पड़ा था कल ''

वो इक सितारा मुझ से मिल कर 
रो पड़ा था कल ''

वो फ़लक से और मैं था 
ख़ाक से बिछड़ा हुआ

लेकिन जब ये रंग लाती हैं तो ज़िंदगी रंगों से भर जाती है..!!

तुम ही सोचो ज़रा क्यों ना रोकें तुम्हे

जान जाती है जब उठकर जाते हो सुख पाने के लिए हम इच्छाओं की कतार लगाएं या आशाओं के अम्बार, परंतु सुख का ताला केवल और केवल संतुष्टि की चाबी से ही खुलता है।
 कहेते है ..."हसते-खेलते" बीत जाये ये "जिंदगी"!
"खेलना" बचपन में छुट गया और हँसना "जिम्मेदारीयौं" ने भुलवा दिया
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की
अब की बार मिलोगे तो खूब रुलायेंगे तुम्हे.

सुना है तुम्हे रोने के बाद सीने से लिपट जाने की आदत मेरे सब्र की इन्तेहाँ क्या पूछते हो "श्याम"...
वो मेरे सामने रो रही है किसी और के लिए...

काश बचपन मे ही बुखारे इश्क का टीका लग जाता,
मर्ज न तुमको होता और हम भी बचे रहते

उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब था, अपना भी नही बनाया और किसी और का भी ना होने दिया।
हमने मुहब्बत के नशे में आकर उसे खुदा बना डाला..होश तब आया जब उसने कहा खुदा किसी एक का नही होता।

ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद ऐ दोस्त...

कसम से लोग खुबसूरत बहुत है पर वफादार नहीं!
में किसी से नाराज़ नही होता !!
बस खास से आम कर देता हूँ!!
हमारी शायरी के जायके से तुम कहाँ वाकिफ हो ...

हम उन्हें भी मोहब्बत सिखा देते हैं जिन्हें मोहब्बत का शौक भी न हो....
हम सुधर गए तो उन का क्या होगा

जिनको हमारी शरारतों से इश्क है 

ग़मों का एक तूफ़ाँ दिल के अंदर शोर करता है 
मगर हम तो समुंदर की तरह ख़ामोश रहते हैं....

सुराही और पैमाने यहाँ काफ़ी नहीं होते 
ये वो बस्ती है जिस में दरिया-नोश रहते हैं.....

कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं
तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं
पर हकीक़त तो ये है....

हम तो बस निभाने को प्यार समझे बिना किसी को पसंद ना करो और समझे बिना किसी को खो भी मत देना।

क्योंकि फिक्र दिल में होती हैं शब्दों में नहीं और गुस्सा शब्दों में होता हैं दिल में नहीं॥
भिखारी को देख जब हम गाड़ी का शीशा बन्द कर देते हैं,

तो हम सबको अपने दरबार में देखकर भगवान को कितनी बार ऐसा करना पड़ता होगा "आ गया मांगने"..
इसलिए बिना मांगे ही हर पल परमात्मा का शुक्रिया अदा करते रहे कि जो तूने दिया है,हम उसके भी कहाँ काबिल थे जी।

ही हमारा भाग्य लिखते हैं..!!
मर्द चाहता है.. 
वो औरत की ज़िन्दगी का पहला मर्द हो...
जबकि औरत चाहती है.. 

कि वो मर्द की ज़िन्दगी की आखिरी औरत हो...
कभी ज़्यादा कभी कम रहेगा....
इश्क़ मगर हरदम रहेगा....

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है, 
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद, 
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है....


रोते हुए पतझड़ के साथ साथ यहाँ हँसता हुआ मधुमास भी तुम देखोगे, समंदर की उफनती हुई लहरों के सिवा मरुथल की कभी प्यास भी तुम देखोगे.
देता हूँ मशविरा मैं जिंदगानी का ग़म औ ख़ुशी का पैरहन बांधे न फ़िरो, सीता के स्वयंवर पे झूमने वालों प्रभु राम का वनवास भी तुम देखोगे...

छुपा  है  मेरी  आँखो  मे  किसका  फसांना

 अगर  समझ  सको  तो  हमको  भी दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूंप्यार का उसे पैगाम क्या दूंइस दिल में दर्द नहीं बस यादें हैं उसकीअब यादें ही मुझे दर्ददें तो उसे इल्जाम क्या दूं
तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,आज भी खुदा से पहले याद किया है तुझे
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई, 
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई, 
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
मेरी भी आँखों से आंसुओं की छुपा  है  मेरी  आँखो  मे  किसका  फसांना 
अगर  समझ  सको  तो  हमको  भी 

तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने ,तेरे प्यार का हर क़र्ज़ अदा किया हमने ,मत सोच के हम भूल गए है तुझे ,आज भी खुदा से पहले याद किया है
दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूंप्यार का उसे पैगाम क्या दूंइस दिल में दर्द नहीं बस यादें हैं उसकीअब यादें ही मुझे दर्ददें तो उसे इल्जाम क्या दूं
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई, 
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई, 
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई.

लगी हैं मुझको गुलाबों की बददुआ शायद जिनको तोडा था मैंने कभी तेरे लिए 
“उन्होंने सिर्फ़ बिछड़ जाने का दर्द सहा है...,

पा कर खो देने के दुख से ना वाक़िफ़ है वो
आवारगी का आलम कहो या कहो बेखुदी मेरी 
बडे ख़ास थे उनकी मुलाक़ात से पहले
बिछड़ ही जाते हैं दुनियां में चाहने बाले,
चलो जो हुआ सो हुआ पर नींद क्यों नहीं आती...!!

अगर उन्हें पाना ही इश्क है,
तो मुझे उनसे इश्क ही नही है,
अगर उन्हें  खुश देखना इश्क है,
तो बेशक मुझे उनसे बेपनाह
इश्क है।


कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद..
राख को भी कुरेद कर देखो
अब भी जलता हो कोई पल शायद..!!!

सूखे होंटों पे ही होती हैं मीठी बातें,,,,,,
प्यास जब बुझ जाये तो लहजे बदल जाते हैं।.,,,,,


ख्त्म कर दी थी.... जिन्दगी की ......हर खुशियाँ ....उनपर,.... 
कभी फुर्सत मिले .....तो सोचे मोहब्बत किसने की थी......
जला है जिस्म जहां, दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है  ? ….. 
 अपनी ही धुन में रहो तो अच्छा है...

दुनियां का क्या पता, कब बदल जायें...
ऐ सनम कभी प्यार मत करना, 
हो जाये तो इंकार मत करना,

निभा सको तो निभा देना, 
लेकिन किसी की जिंदगी बरबाद मत करना !!!

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