अगर कुछ करना है तो भीड़ से हटकर चलो

 मैं कुछ खास तो नहीं
मगर मेरे जैसे लोग कम है
न कोई भाग्यशाली  अभागा
किस्मत का सूरज उसका चमका जो अब नींद से जागा

कड़ी मेनहत पक्का इरादा हिम्मत जो दिखलायेगा
पथ पथ पर बिखरे है मोती खोज कर वही लाएगा

जब कहती है दुनिया बस अब हार मान जा
उम्मीद पुकारती है बस एक बार और सही

दुआए जमा करने में लग जाओ साहब
दौलत और शौहरत साथ नहीं जाएगी

मुझे  डरा मुझे ये वक़्त नाकाम होगी तेरी हर कोशिश
जिंदगी के मैदान में खड़ा हूँ दुवाओ का काफिला लेकर

अगर कुछ करना है तो भीड़ से हटकर चलो
भीड़ सहस तो देती है मगर पहचान छीन लेती है

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