कितनी खामोश मुस्कराहट थी
शोर बस आँख की नमी में था
मेरी इस दीवानगी में कुछ कसूर तुम्हारा भी है
तुम इतने प्यारे ना होते तो हम भी दीवाने ना होते
जब चाहा इग्नोर कर दिया जब चाहा पास बुला लिया
प्यार हूँ तुम्हारा कोई खिलौना नहीं जो तुम्हारे लिए नाचती रहू
तमन्ना हो अगर मिलने की तो हाथ रखो दिल पर
धड़कनो में हम तुम्हे मिल जायेगे
बिकते तो हम भी है साहब
बस हमारी कीमत मोहब्बत है
नफ़रत इतनी ही करो की अगर दोबारा
मिलना पड़े तो शर्मिदगी ना हो
वो रोइ तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर
जिंदगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने खत में
एक बात हमेशा याद रखना
किसी को अपना बनाकर उसे धोखा मत देना
तेरी ख़ुशी के ठिकाने बहुत होंगे
मगर मेरी बेचैनी वजह बस तुम हो
बैठे है रहगुजर पर दिल का दिया जलाये
शायद वो दर्द जाने वो लौट आये
तुम अपने आप पर एक एहसान क्यों नहीं करते
करते ही मुझसे प्यार तो एलान क्यों नहीं करते
खमोश हूँ तो तुम्हारी ख़ुशी के लिए
ये न सोचना की मेरा दिल दुखता नहीं
अब कोई बात मेरे दिल तक नहीं जाती
मै झूठी मुस्कराहट देकर नज़रे फेर लेती हूँ
आसान ये भी नहीं की तुम किसी के लिए जिओ
और वो किसी और के लिए
टूटी चीजों का मे भरोसा नहीं करता मगर
दिल तो अब भी कहता है की तुम मेरे हो
साले तू बॉयफ्रैंड है या
प्याज रुलाता ही जा रहा है