अजीब रवैया है लोगो का भी कहते है
मोहब्बत बुरी है लेकिन स्वाद सभी चखते है
हम भी लगाव रखते है पर बोलते नहीं
क्योकि हम रिश्ते निभाते है तौलते नहीं
गुलाब सी मोहब्बत है तेरी
जितनी खुसबू उतनी ही है चुभन तेरी
मेरी पीड़ा बहुत गहरी है
किस से कहु ये दुनिया जो बहरी है
साथ न होने पर भी जो साथ है वो तेरा साथ है
इस ख़ामोशी में जो मेरे मन की बात की बात है वो तेरी बात है
धीरे धीरे सीख रही हु तेरे शहर है रिवाज
जिससे मतलब निकल जाए उसे जिंदगी से निकाल देना
उम्मीदों का आसमा बहुत बड़ा है ख्वाहिशे जरा संभल कर करना
क्युकी सपनो की कीमत अकसर अपनों को खो कर मिलती है
मैंने दरवाजे पे ताला भी आगा कर देखा
गम मगर फिर भी समझ जाते थे मै घर में हूँ
चलो फिर मस्ती करते है चलो फिर चाँद छूने की जिद करते है
जो रूठे है जो भूले है मेरे दोस्त उन्हें मनाने की जिद पकड़ते है