काटो का तो नाम ही बदनाम है
चुभती तो निगाहे भी है और काटती तो जुबान भी है
मिजाज सख्त सही
मगर तासीर इश्क़ है मेरी
ये जो मासूम लोग होते है ना
वो गुस्से में भी रोने लगते है
उठो तो ऐसे उठो फक्र हो बुलंदी को भी
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज करे
जो शिकायत दर्द नहीं करते
दर्द उन्हें भी होता है
वो अदा करे तो शुक्र उसका न दे तो मलाल नहीं
मेरे रब के फैसले कमाल है उन फैसलों पे सवाल नहीं
सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातो ने
तब जा के चढ़े है लोगो की निगाहो में
सफर जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाव छाव चली
तकिये के नीचे दबाकर रखे है तुम्हारे ख्याल
एक तस्वीरें बेपनाह इश्क़ और बहुत सारे साल
दिल की बात साफ़ साफ़ कह देनी चाहिए
बता देने से फैसले होते है न बताने से फासले
काबिल ऐ तारीफ़ होने के लिए
वाकिफ ए तकलीफ होना पड़ता है
चर्चाये खास हो तो किस्से भी जरूर होते है
उगलिया भी उन्ही पर उठती है जो मशहूर होते है
किरदार में मेरे भले अदाकारिया नहीं है
खुद्दारी है गुरुर है पर मक्कारिया नहीं है
लहजे में बदजुबानी पर नकाब लिए फिरते है
जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है वो मेरा हिसाब लिए फिरते है
चाक़ू खंजर तीर और तलवार लड़ रहे थे की कौन ज्यादा
गहरा घाव देता है शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे
जरा सा भी नहीं पिघलता दिल तुम्हारा
इतना कीमती पत्थर कहा से ख़रीदा
कभी कभी हम गलत नहीं होते बस वो शब्द
ही नहीं होते जो हमें सही साबित कर सके
आखे थी जो कह गयी सब कुछ
लफ्ज होते तो मुकर गए होते
अहमियत बहुत जरुरी है
चाहे सड़क पार कर रहे हो या हद
अहम् ने एक वहम पाल रखा है सारा कारवां