तेरे सिवा किसी और को दो पल न दू
तुम पर गुजरी तो आह
हम पर गुजरी तो वाह
सुकून की नीद तो बचपन में आती थी
अब तो बस थक कर सो जाते है
तुम्हारे कैमरे में रील ही न थी
और कमबख्त हम थे की मुस्कुराते रहे
जुदा होकर भी मेरे पास में है वो
नहीं है साथ पर हर सास में है वो
नहीं लौटेगा अब फिर जानता हूँ
न जाने फिर क्यों आस में है वो
की मुरझाये फूलो को अब सदाबहार किया जाये
वक़्त आ चूका है की अब खुद से प्यार किया जाये
किसी के इंतजार में वक़्त बेकार करने से बेहतर है
की वक़्त जो सामने है इसी पर एतबार किया जाये
इस शहर से कही बहुत दूर
आजाद दुनिया में जीने है मेरा
इंतजार आज भी है उसका
जिसे अब आना नहीं
Tere Siwa kisi ko do pal na du
Dil toh bahot dur ki baat hai
Jo sukoon allah ke ghar baith kar
milta hai woh kisi aur jagah nahi
ab jo bhi hamse takrayega pairo se
aayega aur kandho pe jayegaa
किस्सा नहीं कहानी हूँ
शरीफ नहीं हरामी हूँ
सारे दर्द सह कर भी मुस्कुरा देना
इसी का नाम ज़िन्दगी है
आँखे मेरी हो या तुम्हारी
कभी नम न हो बस यही ख्वाहिश है हमारी
हर किसी के पास अपने अपने मायने है
खुद को छोड़ सिर्फ दूसरे के लिए आईने है
kitna jaanta hoga woh shaks mere baare mein
mere muskurane pe jisne poch liya tum udas kyun ho
तजर्बा इश्क़ का कुछ ऐसा है
अब नफरत से इश्क़ होने लगा है
mohabbat khubsurat hoge kisi aur duniya mein
idhar to hum par jo gujari hai hum hi jaante hai
wajah puchoge to sari umar nikal jayegi
kaha na achhe lagte ho bas achhe lagte ho
khuda kisi ko bhi ek se halat nahi deta
sabko malum hai phir bhi koi kisi ka sath nahi deta
yun to karte firenge sab apne hone ka natak
lekin dubte huye ko koi hath nahi deta
zabardasti ki nazdeekiyon se
sukoon ki dooriyan hi achi hai