Kisi Shayar Ki Antim Yatra

किसी शायर ने अंतिम यात्रा का खूब वर्णन किया है


था मै नीद में और मुझे इतना सजाया जा रहा था 

बड़े प्यारे से मुझे नहलाया जा रहा था 

ना जाने था वो कौन सा अजब खेल मेरे घर में 

बच्चो में तरह मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था 

था पास मेरा हर अपना उस वक़्त 

फिर भी मै हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था 

जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत  की निगाहो से 

उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था 

मालुम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर 

जोर जोर से रोकर मुझे जगाया जा रहा था 

काँप उठी मेरी रूह वो मंजर देखकर 

जहा मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था 

मोहब्बत की इंतिहा थी जिन दिलो में मेरे लिए 

उन्ही दिलो के हाथो आज मै जलाया जा रहा था  

- @rkypbh

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