उस समय खुद यमराज भी रोया होगा,जब दो मासूम बच्चों को उसने अपने कांधे पर ढोया होगा

उस समय खुद यमराज भी रोया होगा,जब दो मासूम बच्चों को उसने अपने कांधे पर ढोया होगा||
अरे नरपेशाचों तुमने क्या कर डाला,पूरे देश का सुख और चैन हर डाला|| 
दो फूल जैसे मासूम  बच्चे /भोले मासूम ईश्वर जैसे सच्चे||
आज मन में ऐसी पीड़ा है कि शब्दों में बयान नहीं कर सकता।चित्रकूट में पिछले दिनों दो मासूम बेटे श्रेयांश और प्रियांश का दिन-दहाड़े अपहरण हुआ।उनके सुरक्षित वापस लौट आने की अपेक्षा थी लेकिन खबर ऐसी मिली कि मन वेदना से भर गया।
देश की धरोहर,माता पिता की आंख के तारे,अरे राक्षसों पैसे ले के तुम उनको मारे||
छी गुरू तो ईश्वर से अधिक बढ़कर होता है,बच्चों का निर्माण उनसे पढ़कर होता है|| 
तुमने गुरु और मानवता दोनों को शर्मसार किया,पैसे ले के भी मासूमों को मार दिया|
माना मजबूरी में आदमी का दिमाग फिर जाता है,पर क्या कोई इस हद तक गिर जाता है|
यह पुलिस, नेता,कानून सब की कमी है,आज पूरे देश की आंख में आंसू और नमी है||
मेरे अंदर सच कहने का गुर्दा मेरी नजर में देश का संविधान और कानून मुर्दा है| 
कैसे रह सकते हैं हम शांत,जब  असमय चले गये प्रियांस और श्रेयांस||
अब सिर्फ बातें नही सब क साथ कुछ करने और चलने की जरूरत हश,
अब भातीय संविधान बदलने कि जरूरत है||
पूरे देश की दुखी है आत्मा और मन,प्रिय प्रियांश व श्रेयांस आपको अश्रुपूर्ण श्रध्दासुमन........
दिल बहुत रोया है.....


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