हालात ने चेहरे की चमक छीन ली वरना
दो चार बरस में कोई इतना नहीं बदलता
जिंदगी यू तो मुक्कमल थी अपनी जाने क्यू
तुझको देखा तो अधूरी सी लगी
हर तरफ वफ़ा का तकाजा है
फिर भी बेवफाओ की भीड़ है
नींद भी नहीं आती अब रातो को
क्योकि ख्वाबो में भी अब सताने लगे वो
कोई नहीं अब मेरे गमो में शरीक ये मौत तू
ही बुला ले अब अपने करीब
ख्वाब तो सब मीठे देखे थे ताज्जुब है
आखो का पानी खारा कैसे हो गया
दिल बुझा बुझा हो तो क्या बुरा है रोने में
बारिशो के बाद आसमां निखरता है
सफर में ना जाने कितने मोड़ आये ये किसी राह पे
इन्तजार करने वाला क्या जाने
करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है
कितना भी खुश रहने कोशिश कर लो जब कोई
बेहद याद आता है तो सच में बहुत रुलाता है
उस रात से हमने रोना ही छोड़ दिया
जब उसने कहा सुबह होते ही मुझे भूल जाना
मेरी ख़ामोशी की मेरी मज़बूरी न समझ
जुबां जो खोली मैंने अपनी तेरी औकात तुझे पता चल जाएगी
चुपके से गुजार देंगे ज़िदगी तेरे नाम पे
फिर बतायेगे प्यार ऐसे भी निभाया जाता है
भटकने की आरजू किसको है
मिल जाओ जो तुम तो ठहर जाऊ मै
जिन्हे कल तक चुभती थी बाते मेरी
उन्हें आज मेरी ख़ामोशी भी खलती है
जिंदगी भीड़ बढ़ रही जमाने में
लोग उतने ही अकेले होते जा रहे है
जिंदगी सिर्फ दो पल की और दर्द बेसुमार