Meri Saari Kahani Do Lafzon Me He Khatam Ho Gayi

इश्क़ का इजहार था साहब 
मेरा हां था उसकी हम्मम थी 


इश्क़ समुन्दर सा है और है हम उस पर तैरती नाव से
इश्क़ का ये तूफ़ान डूबा भी सकता है और किनारे पर भी ले जा सकता है

जब किसी को खोने की नौबत आ रही जाती है
तभी उसे पाने की कीमत समझ आती है

उसने एक बार कहा था मोहब्बत सिर्फ मुझसे करना
तब से मोहब्बत की नजर से मैंने खुद को भी नहीं देखा

वादों और यादो में बस इतना फर्क है
वादे इन्शान तोड़ते है और यादे इन्शान को तोड़ देती है

कभी कभी हाथ छुड़ाने की जरुरत नहीं होती
लोग साथ रहकर भी बिछण जाते है

कितना मुश्किल है उस दोस्त को मनाना
जो रूठा भी नहीं और बात भी नहीं करता

चलो फिर मस्ती करते है चलो फिर चाँद छूने की जिद करते है
जो रूठे है जो भूले है मेरे दोस्त उन्हें मनाने की जिद पकड़ते है

शब्द भी हार जाते है कई बार जज्बातो से
कितना भी लिखो कुछ ना कुछ बाकी रह जाता है

काश तू मेरी डायरी के खली पन्नो सा होता
मै रोज तेर पन्नो पर अपनी ख्वाहिशे लिखती

जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया
हम सीख न पाए फरेब और दिल बच्चा ही रह गया

धीरे धीरे सीख रही हूँ तेर शहर का रिवाज
जिससे मतलब निकल जाये उसे जिंदगी से निकाल देना
  

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