नजर अंदाज करने के ओर भी तरीके थे
अफ़सोस हम ही शायद तुझसे इश्क करते थे
जब जब आपके ख़ास लोग दूर होने लगे
समझ लेना की उनकी जरूरते पूरी हो चुकी है
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी
जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता
एक नदिया है मजबूरी की
उस पार हो तुम इस पार है हम
अब पार उतना है मुश्किल
मुझे बेकल बेबस रहने दो
हर सवाल का वो जवाब रखती है
मेरे लिए जाने क्यों गम हजार रखती है
जब भी तन्हाई में जी लेने की बात आई
तुमसे हर एक मुलाकात मुझे याद आई
दर्द खुद ही तुम्हारे गले पड़ जाएगा
जब तुमको किसी से इश्क हो जायेगा