एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो है
वो तो अपना दर्द रो रो कर सुनाते रहे
हमारी तन्हाइओ से भी आँख चुराते रहे
हमें ही मिल गया खिताब ए बेवफा क्योकि
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे
हसते हुए जख्मो को भुलाने लगे है हम
हर दर्द के निशाँ मिटाने लगे है हम
अब और कोई जुल्म सताएगा क्या भला
जुल्मों सितम को अब तो सताने लगे है
दर्द हमने सभाला है हमने आंसू बहाये है
बेशक वजह तुम थे पर दिल तो हमारा था
यह भी एक जमाना देख लिया है हम ने
दर्द जो सुनाया अपना तो तालिया बज उठी
दर्द का मेरे यकी आप करे या न करे
इल्तिजा है की इस राज का चर्चा ना करे
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